ॐ सांई राम!!!
बढता जाता है कुछ अजीब सा एहसास,
नहीं कोई भी मेरे साथ,
बस एक तेरी दिल को आस,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
नहीं कोई भी मेरे साथ,
बस एक तेरी दिल को आस,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
छुटता जाता है कुछ रिश्तों का साथ,
नहीं बढ़ाता कोई अपना हाथ,
बस एक तेरी ही नज़र की प्यास,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
नहीं बढ़ाता कोई अपना हाथ,
बस एक तेरी ही नज़र की प्यास,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
दिखाई देती है हर खुशी भी उदास,
रूकी-रूकी सी आती है हर सांस~
बस एक तेरी ही है तलाश,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
रूकी-रूकी सी आती है हर सांस~
बस एक तेरी ही है तलाश,
मेरे सांई मेरे बाबा~~कहां हो तुम~~
जय सांई राम!!!
No comments:
Post a Comment