Monday 28 September 2015
Sunday 6 September 2015
जब चारो और अँधेरा हो...
साई का दीप जला लेना ।।
जब गमों ने तुमको घेरा हो...
तुम हाल साई को सुना देना ।।
जब दुनिया तुमसे मुँह मोड़े...
तुम अपने साई को मना लेना ।।
जब अपने तुमको ठुकरा दें...
साई को तुम अपना लेना ।।
जब कोई तुमको रुलाये तो...
तुम साई के गीत गुनगुना लेना ।।
साई करूणा का सागर है...
तुम उसमें डुबकी लगा लेना ।।
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