Saturday 10 October 2015



कैसे बताऊं कितनी कृपा करते है मेरे "साई"
होतें हैं जब हम तकलीफ में खुद आहें भरते मेरे "साई "
मिटाते है सारे गम हमारे....
नामुमकिन को मुमकिन करते है मेरे "साई"
उसकी रहमतों का कोई अन्त नहीं....
बेअन्त इनायत करता है मेरे " साई "
कैसे कह दूं कि वो दूर है मुझसे ....
मेरे हर कदम में मेरे साथ चलते है मेरे "साई"

ॐ साई राम 

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