Tuesday 17 November 2015



साँई जी तेरे दिदार को आँख जरूरी नही,
मेरी आँखो मे तू नूर बन के समाया है... !!
किसी को तो तू मंदिर मे मिलता है ,
किसी को तो तू मस्जिद में मिलता है,
किसी को गुरूदवारा में,
पर मैने तुम्हे सदा अपने दिल मे ही पाया है ......!!

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