हो गुनाहगार कितना भी कोई हिसाब मांगा ना तुमने किसी से।
तुमने औलाद अपनी समझ कर सबके अवगुण छुपाए हुएं हैं।।
कुछ पाने की खातिर तेरे दर हम भी झोली फैलाऐ हुए हैं।
सफल करोगे हमारे प्रयास साईं हम ये आस लगाए हुए हैं।।
साईं कृपा से साईं आस एक प्रयास-05.02.2017
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