किस तरह याद करूँ, कैसे भुलाऊँ तुमको, तुम कोई रस्म नहीं की निभाऊँ तुमको....!!
रोज़ आँखों से बिखरता है नया ख़वाब कोई, दिल ये कहता है आँखों में सजाऊँ तुमको....!!
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