Thursday 17 March 2016

किस तरह याद करूँ, कैसे भुलाऊँ तुमको,
तुम कोई रस्म नहीं की
निभाऊँ तुमको....!!

रोज़ आँखों से बिखरता है नया ख़वाब कोई,
दिल ये कहता है आँखों में सजाऊँ तुमको....!!

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